विवेकानंद ऊर्जा पुंज का उद्देश्य
१. प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष (सीधा) लाभ पहुँचाना
२. गलत को "गलत है-गलत है" बार बार कहने से सही नहीं हो जाता इसलिए विवेकानंद ऊर्जा पुंज का मानना है की जो सत्य है उसे सबके सामने प्रकट कर दिया जाये अर्थात ऊर्जा पुंज का उद्देश्य सत्य को अपने आचार, विचार, व्यवहार एवं कृतित्व से सबके सामने प्रकट करना है.
३. हम सबके सपने बड़े है. बड़े होने भी चाहिए लेकिन हम सबके पास सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं है. कही न कही हम सब इस अभाव का अनुभव करते है, लेकिन यदि हम अपनी छोटी-छोटी सामर्थ्य को मिलाएगे तो हम बड़े से बड़े सपने को पूरा करने में सक्षम हो सकेगें. अर्थात् हम सभी ऊर्जा पुंज सामूहिक शक्ति को एकत्रित कर स्वयं के लक्ष्य को प्राप्त करें तथा दूसरों की लक्ष्य प्राप्ति में प्रेरणापूर्ण सहयोग प्रदान करें।
२. गलत को "गलत है-गलत है" बार बार कहने से सही नहीं हो जाता इसलिए विवेकानंद ऊर्जा पुंज का मानना है की जो सत्य है उसे सबके सामने प्रकट कर दिया जाये अर्थात ऊर्जा पुंज का उद्देश्य सत्य को अपने आचार, विचार, व्यवहार एवं कृतित्व से सबके सामने प्रकट करना है.
३. हम सबके सपने बड़े है. बड़े होने भी चाहिए लेकिन हम सबके पास सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन नहीं है. कही न कही हम सब इस अभाव का अनुभव करते है, लेकिन यदि हम अपनी छोटी-छोटी सामर्थ्य को मिलाएगे तो हम बड़े से बड़े सपने को पूरा करने में सक्षम हो सकेगें. अर्थात् हम सभी ऊर्जा पुंज सामूहिक शक्ति को एकत्रित कर स्वयं के लक्ष्य को प्राप्त करें तथा दूसरों की लक्ष्य प्राप्ति में प्रेरणापूर्ण सहयोग प्रदान करें।
लक्ष्य
लक्ष्य
हम स्वयं जहाँ पर है वहाँ पर श्रेष्ठतर प्रदर्शन करते हुए अपने तात्कालिक लक्ष्यों को प्राप्त करें एवं अपना भविष्यनिर्माण करें तथा स्वयं की प्रगति के साथ-साथ राष्ट्र की प्रगति में सहयोग दें। ऊर्जा पुंज का लक्ष्य व्यक्ति को लौकिक एवं अध्यात्मिक रूप से सुखी एवं समृध बनाते हुए "सर्व भूत हितेरतः कृण्वन्तो विश्वमार्यम् " (सब प्राणियों के हित में रत रहकर सारे विश्व को श्रेष्ठ बनायेंगे ) का है।
विवेकानन्द आह्वान
मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों,लोकसेवा हेतु सर्वस्व त्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें। मुझे नचिकेता की श्रद्धा से सम्पन्न केवल दस या बारह मिल जायें तो मैं इस देश के विचारों और कार्यों को एक नई दिशा मैं मोड़ सकता हूँ।
निस्संदेह... क्योंकि ईश्वरीय इच्छा से इन्ही लड़कों में से कुछ समय बाद आध्यात्मिक और कर्म-शक्ति के महान पुंज (ऊर्जा पुंज ) उदित होंगे, जो भविष्य में मेरे विचारों को क्रियान्वित करेंगे।
निस्संदेह... क्योंकि ईश्वरीय इच्छा से इन्ही लड़कों में से कुछ समय बाद आध्यात्मिक और कर्म-शक्ति के महान पुंज (ऊर्जा पुंज ) उदित होंगे, जो भविष्य में मेरे विचारों को क्रियान्वित करेंगे।
Voice of Urja Punj
With the conviction firmly rooted in our heart that we are the servants of the Lord, his children, helpers in the fulfillment of his purposes, entering into the arena of work - Lord is Blessing Us
ऊर्जा पुंज उद्घोष
"मैं उस इश्वर की सेवा करना चाहता हूँ जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं."
आत्मने मोक्षार्थं जगतहिताए च
यह उद्घोष है भारतीय मनीषा का इसे साकार करने के लिए भारत में जन्मा प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर में प्रवाहित ऋषि रक्त के स्पंदन से प्रेरित होता आया है।
'विवेकानंद ऊर्जा पुंज' ऐसा ही एक स्पंदन है। युगानुकूल धारणक्षम, पोषणक्षम एवं संस्कारक्षम व्यवस्था को युवाशक्ति के जागरण से अभिव्यक्त करना इसका हेतु है. स्वामी विवेकानंद की घनीभूत ऊर्जा की ललकार इसकी प्रेरणा है, उनका कृतित्व हमारा पथ प्रदर्शक है, उनका व्यक्तित्व हमारा आदर्श है। कथनी और करनी में साम्य रखकर ग़लत को ग़लत न कहकर सही को पहचान कर उसे समाज के सम्मुख प्रकट कर स्थापित करना इसका पाथेय है.
सत्य को पहचानने के लिए गरल (विष) को धारण कर विश्व के कल्याण, मानव मात्र के कल्याण की धारणा एक लगभग असंभव चुनौती है। 'विवेकानंद ऊर्जा पुंज' इस चुनौती को स्वीकार करता है और स्वयं को इस चुनौती का सामना कर उसके समुचित समाधान के लिए प्रस्तुत है। सत् और असत् के शाश्वत संघर्ष में विजयी सदैव सत्य ही होता है, किंतु कलयुग की भ्रामक माया इस प्रकार ग्रसती है की उस मोहिनी में असत् , सत् जैसा स्वीकार्य और प्रतिष्ठित हो जाता है। हम इस भ्रमजाल को तोड़ने की चुनौती को स्वीकार करते है।
विवेकानंद की अभिलाषा १०० युवकों में से एक युवक बनने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करते हैं और नर और नारायण की कृपा से इस कसौटी पर खरे उतरने के लिए स्वयं को विराट चेतना का अंश बनाकर ज्ञानतत्त्व से एकात्म होकर कर्मयोगी के रूप में भक्ति के साथ आस्था के साथ प्राणपण से इस अखण्ड ऊर्जा पुंज की रश्मियां बन दिगदिगन्त में व्याप्ति के उस स्वप्न को साकार करने में रामसेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान को समाधानकारी मानकर अनुकरणीय मानकर चलने का संकल्प करते है।
पर दुःखकातर होना सरल है। लेकिन दरिद्र नारायण की सेवा का सामर्थ्य उपजाना कठिन है। यही कठिनाई हमें आनंद से भरती है उत्साह से भरती है संकल्प से भरती है। समाज की धारा में हम जहाँ है वहाँ अपने कदमों को दृढ कर अपने छोटे - छोटे तात्कालिक लक्ष्यों को संगठन शक्ति के साथ प्राप्त करते हुए दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कदम से कदम मिलाकर पुंजीभूत ऊर्जा को प्रकट कर आवश्यकता पड़ने पर इस यज्ञ में स्वयं की आहुति देने के सौभाग्य की होड़ में प्रथम पंक्ति में स्वयं को खड़ा करने का दुःसाहस हमें भगत सिंह , चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे रणबांकुरों से विरासत में मिला है। यह हमारी धरोहर है हमारी थाती है। संपूर्ण जनमेदिनी हमारी इस दीप्त आभा के प्रकाश में अपना पथ प्राप्त कर सके ऐसी हमारी अभिलाषा है। अबूझ, अनादि, अगोचर को बूझना, समुद्र की उत्ताल लहरों को चीरना, पृथ्वी के गर्भ में झाँकना, विराट तत्व से एकाकार होकर स्वयं विराट में अभिव्यक्त होना, सूर्य को फल मानकर मुहँ में लेना हमारे खेल है। आइए विवेकानंद ऊर्जा पुंज की चुनौती स्वीकार कर विश्व को घनीभूत ऊर्जा से भर दें।
'विवेकानंद ऊर्जा पुंज' ऐसा ही एक स्पंदन है। युगानुकूल धारणक्षम, पोषणक्षम एवं संस्कारक्षम व्यवस्था को युवाशक्ति के जागरण से अभिव्यक्त करना इसका हेतु है. स्वामी विवेकानंद की घनीभूत ऊर्जा की ललकार इसकी प्रेरणा है, उनका कृतित्व हमारा पथ प्रदर्शक है, उनका व्यक्तित्व हमारा आदर्श है। कथनी और करनी में साम्य रखकर ग़लत को ग़लत न कहकर सही को पहचान कर उसे समाज के सम्मुख प्रकट कर स्थापित करना इसका पाथेय है.
सत्य को पहचानने के लिए गरल (विष) को धारण कर विश्व के कल्याण, मानव मात्र के कल्याण की धारणा एक लगभग असंभव चुनौती है। 'विवेकानंद ऊर्जा पुंज' इस चुनौती को स्वीकार करता है और स्वयं को इस चुनौती का सामना कर उसके समुचित समाधान के लिए प्रस्तुत है। सत् और असत् के शाश्वत संघर्ष में विजयी सदैव सत्य ही होता है, किंतु कलयुग की भ्रामक माया इस प्रकार ग्रसती है की उस मोहिनी में असत् , सत् जैसा स्वीकार्य और प्रतिष्ठित हो जाता है। हम इस भ्रमजाल को तोड़ने की चुनौती को स्वीकार करते है।
विवेकानंद की अभिलाषा १०० युवकों में से एक युवक बनने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करते हैं और नर और नारायण की कृपा से इस कसौटी पर खरे उतरने के लिए स्वयं को विराट चेतना का अंश बनाकर ज्ञानतत्त्व से एकात्म होकर कर्मयोगी के रूप में भक्ति के साथ आस्था के साथ प्राणपण से इस अखण्ड ऊर्जा पुंज की रश्मियां बन दिगदिगन्त में व्याप्ति के उस स्वप्न को साकार करने में रामसेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान को समाधानकारी मानकर अनुकरणीय मानकर चलने का संकल्प करते है।
पर दुःखकातर होना सरल है। लेकिन दरिद्र नारायण की सेवा का सामर्थ्य उपजाना कठिन है। यही कठिनाई हमें आनंद से भरती है उत्साह से भरती है संकल्प से भरती है। समाज की धारा में हम जहाँ है वहाँ अपने कदमों को दृढ कर अपने छोटे - छोटे तात्कालिक लक्ष्यों को संगठन शक्ति के साथ प्राप्त करते हुए दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कदम से कदम मिलाकर पुंजीभूत ऊर्जा को प्रकट कर आवश्यकता पड़ने पर इस यज्ञ में स्वयं की आहुति देने के सौभाग्य की होड़ में प्रथम पंक्ति में स्वयं को खड़ा करने का दुःसाहस हमें भगत सिंह , चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे रणबांकुरों से विरासत में मिला है। यह हमारी धरोहर है हमारी थाती है। संपूर्ण जनमेदिनी हमारी इस दीप्त आभा के प्रकाश में अपना पथ प्राप्त कर सके ऐसी हमारी अभिलाषा है। अबूझ, अनादि, अगोचर को बूझना, समुद्र की उत्ताल लहरों को चीरना, पृथ्वी के गर्भ में झाँकना, विराट तत्व से एकाकार होकर स्वयं विराट में अभिव्यक्त होना, सूर्य को फल मानकर मुहँ में लेना हमारे खेल है। आइए विवेकानंद ऊर्जा पुंज की चुनौती स्वीकार कर विश्व को घनीभूत ऊर्जा से भर दें।
Sunday, September 11, 2011
Tuesday, August 30, 2011
अन्ना हजारे के साथ विवेकानन्द ऊर्जा पुंज
माँ भारती के सपूत अन्ना हजारे से राष्ट्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त आमजन कि पीड़ा देखि नहीं गई और उस संत कि यह पीड़ा एक समग्र जनांदोलन के रूप में प्रकट हुई और राष्ट्र में बहु प्रतीक्षित नेतृत्व सामने आया। अन्ना हजारे के इस राष्ट्र यज्ञ में ऊर्जा पुंज भी अपनी अकिंचिन आहुति देने उद्धत हुए।
स्वामी विवेकानन्द जिस परिवर्तन के लिए सरे राष्ट्र का आवाहन करते हैं, उस परिवर्तन के लिए सामर्थ जुटाने के लिए भी सचेत करते हैं। इसी लिए महर्षि अरविन्द भी उस सुखद परिवर्तन के लिए शक्ति आराधना पर बल देते हैं।
अन्ना भी जब भ्रष्टाचार के विरुध सत्याग्रह के लिए निकले उस समय भी वे सामर्थ्य शक्ति के संचय के लिए महात्मा गाँधी के प्रतिमा के सामने घंटो ध्यानस्थ रहे। हम सभी ऊर्जा पुंजों ने भी शक्ति संचय के इसी उद्देश्य के लिये एवं राष्ट्र कार्य को परिणिति तक लेजाने के लिए "शक्ति जागरण एवं संस्कार शिविर" का आयोजन २२, २३ और २४ अप्रैल २०११ में किया हैं। शिविर का आयोजन माँ नर्मदा के तट पर स्थित स्वामी पगलानंद आश्रम (सिद्ध आश्रम दादा धुनिवाले) में स्वामीजी के दिव्य सानिग्ध में किया गया। प्रतिदिन योगाभ्यास के साथ साथ विभिन्न संतों का सनिग्धा एवं आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। विशेष रूप से जामनगर, गुजरात से पधारे श्री सुबेष सिंह यादव जी ने सनातन धर्म के सूक्ष्म सिध्हान्तों पर प्रकाश डाला एवं धर्म कि व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन में प्रासंगिकता पर बल दिया। शिविर में पधारे भगवत स्वरुप, श्री जय जय सरकार ने यथेष्ठ परिवर्तन के लिए, कथनी-करनी को एक करने कहा साथ ही सभी को कर्मठ बनने पर भी बल दिया। कर्मठ कि व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि व्यक्ति तब ही कर्मठ हो सकता है जब उसके पास ज्ञान हो। बिना ज्ञान के व्यक्ति बहुत कुछ करता हुआ दिखता तो है परन्तु अभिप्श प्राप्त नहीं कर पता इसी लिए पहले ज्ञान को प्राप्त करो अपने आप कर्मठता आजाएगी और तभी यथेष्ठ परिवर्तन करने सक्षम हो सकोगे।
शिविर में सुखमनी साहिब का भी पथ किया गया। प्रोफेसर R P S चंदेल जी ने शक्ति जागरण के लिये सभी को क्रिया योग का अभ्यास कराया और भारत में परिवर्तन के लिए साधन, साध्य और साधक कि सुचिता रखने का सभी से आग्रह किया। राष्ट्रहित कि कामना से सभी ने माँ नर्मदा कि आराधना कि एवं दीपदान किया.
स्वामी विवेकानन्द जिस परिवर्तन के लिए सरे राष्ट्र का आवाहन करते हैं, उस परिवर्तन के लिए सामर्थ जुटाने के लिए भी सचेत करते हैं। इसी लिए महर्षि अरविन्द भी उस सुखद परिवर्तन के लिए शक्ति आराधना पर बल देते हैं।
अन्ना भी जब भ्रष्टाचार के विरुध सत्याग्रह के लिए निकले उस समय भी वे सामर्थ्य शक्ति के संचय के लिए महात्मा गाँधी के प्रतिमा के सामने घंटो ध्यानस्थ रहे। हम सभी ऊर्जा पुंजों ने भी शक्ति संचय के इसी उद्देश्य के लिये एवं राष्ट्र कार्य को परिणिति तक लेजाने के लिए "शक्ति जागरण एवं संस्कार शिविर" का आयोजन २२, २३ और २४ अप्रैल २०११ में किया हैं। शिविर का आयोजन माँ नर्मदा के तट पर स्थित स्वामी पगलानंद आश्रम (सिद्ध आश्रम दादा धुनिवाले) में स्वामीजी के दिव्य सानिग्ध में किया गया। प्रतिदिन योगाभ्यास के साथ साथ विभिन्न संतों का सनिग्धा एवं आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। विशेष रूप से जामनगर, गुजरात से पधारे श्री सुबेष सिंह यादव जी ने सनातन धर्म के सूक्ष्म सिध्हान्तों पर प्रकाश डाला एवं धर्म कि व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन में प्रासंगिकता पर बल दिया। शिविर में पधारे भगवत स्वरुप, श्री जय जय सरकार ने यथेष्ठ परिवर्तन के लिए, कथनी-करनी को एक करने कहा साथ ही सभी को कर्मठ बनने पर भी बल दिया। कर्मठ कि व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि व्यक्ति तब ही कर्मठ हो सकता है जब उसके पास ज्ञान हो। बिना ज्ञान के व्यक्ति बहुत कुछ करता हुआ दिखता तो है परन्तु अभिप्श प्राप्त नहीं कर पता इसी लिए पहले ज्ञान को प्राप्त करो अपने आप कर्मठता आजाएगी और तभी यथेष्ठ परिवर्तन करने सक्षम हो सकोगे।
शिविर में सुखमनी साहिब का भी पथ किया गया। प्रोफेसर R P S चंदेल जी ने शक्ति जागरण के लिये सभी को क्रिया योग का अभ्यास कराया और भारत में परिवर्तन के लिए साधन, साध्य और साधक कि सुचिता रखने का सभी से आग्रह किया। राष्ट्रहित कि कामना से सभी ने माँ नर्मदा कि आराधना कि एवं दीपदान किया.
Thursday, February 17, 2011
विवेकानन्द ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र
"सहनाभवतु सहनोभुनक्तु सहवीर्यं करवा वहै, तेजस्वीनाम अवधीत्मस्तु मा विद्युषावहै"
भारत का लोक हित एवं मंगलकारी यही भाव मनुष्य को देवतुल्य बनादेता है और मानव अनन्योंन्याश्रित हो कर शाश्वत-सनातन आनंद में शांति पाता हे। भारतीय मनीषा का यही गान मानव तो अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के परे ले जा कर "वसुधैव कुटुम्बकम" के भाव में स्तिथ कर देता है।
युवाओं के प्रेरणा श्रोत स्वामी विवेकानन्द भी बार बार यही उदघोष करते है कि भारत के वैदिक ऋषि सनातन काल से यही कहते रहे कि - हे मानव, तुम भी एक दुसरे के साथ मिल कर कार्य करो, जिस प्रकार देवता लोग हवि मिल बाँट कर लेते हैं और एक दूसरे की प्रगति कर सबकी प्रगति करतें है, वैसे ही तुम भी मिल कर कार्य करो और प्रगति को प्राप्त करो।"
स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानने वाला प्रत्येक युवा यही भाव से अनुप्राणित हो कर अपने - अपने क्षेत्र में अपनी सामर्थ के अनुसार मानव सेवा यज्ञ में अपनी सेवा आहुति देने का प्रयास करता है। विश्वभर में न जाने कितने ही ऊर्जा पुंज अपने - अपने क्षेत्रों में मानव सेवा कर रहे हैं। विवेकानंद ऊर्जा पुंज का एक लक्ष्य यह भी है कि वह इन ऊर्जा पुंजों को आपस में जोड़े और एक वृहद ऊर्जा पुंज बनाए जो दिग्दिगंत में व्याप्त अंधकार को नष्ट कर सके। ऐसा ही एक ऊर्जा पुंज समूह रामकृष्ण विवेकानंद मिशन के नाम से बिसुन्तोला (निग्वानी), अनूपपुर, मध्य प्रदेश में युवा मित्र चला रहे हैं। यह नवोदित मित्र मंडल अभी तक प्रत्येक वर्ष विवेकानन्द जयंती के कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं के बीच स्वामीजी के संदेशों को प्रसारित कराता आ रहा है।
विवेकानन्द ऊर्जा पुंज के श्री मोहन चक्रवैश्य विगत कई दिनों से अनूपपुर में पोस्टेड थे जिनका इन मित्रों से संपर्क हुआ। इन नय मित्रों ने मोहनजी के साथ मिलकर गाँव में शिक्षा उत्थान के लिए कक्षाएं प्रारंभ किं। सभी युवा मित्र विवेकानन्द ऊर्जा पुंज से अपने को अभिन्न मानते हुए इन कक्षाओं को "विवेकानन्द ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र" का नाम दिया है। विवेकानंद ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा प्रसार करना है। वर्तमान में ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र, ४ थी से १० वी कक्षा तक के निर्धन बच्चों को संस्कारों के साथ स्कूली शिक्षा दे रहा है। अनूपपुर के ये सभी उत्साह से भरे युवा भविष्य में सरे गाँव में संस्कार एवं शिक्षा प्रसार के लिए कृत संकल्पित हैं। अपने ऊपर पूरा विश्वास रखते हुए ये नये ऊर्जा पुंज भविष्य में समाज के हित में जो भी आवश्यक हो, कार्य करने के लिए प्रस्तुत है।
विवेकानंद ऊर्जा पुंज को अपने अभिन्न नये ऊर्जा पुंजों पर गर्व है एवं शुभकामनाएँ ज्ञापित करता हैं। निलेश, जागेश्वर, अशोक, कमलभान , मोहन , संतोष और बिसाहू ये सभी उत्साह एवं ऊर्जा से भरे मित्रों का ऊर्जा पुंज अभिन्नंदन करता है।
युवाओं के प्रेरणा श्रोत स्वामी विवेकानन्द भी बार बार यही उदघोष करते है कि भारत के वैदिक ऋषि सनातन काल से यही कहते रहे कि - हे मानव, तुम भी एक दुसरे के साथ मिल कर कार्य करो, जिस प्रकार देवता लोग हवि मिल बाँट कर लेते हैं और एक दूसरे की प्रगति कर सबकी प्रगति करतें है, वैसे ही तुम भी मिल कर कार्य करो और प्रगति को प्राप्त करो।"
स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानने वाला प्रत्येक युवा यही भाव से अनुप्राणित हो कर अपने - अपने क्षेत्र में अपनी सामर्थ के अनुसार मानव सेवा यज्ञ में अपनी सेवा आहुति देने का प्रयास करता है। विश्वभर में न जाने कितने ही ऊर्जा पुंज अपने - अपने क्षेत्रों में मानव सेवा कर रहे हैं। विवेकानंद ऊर्जा पुंज का एक लक्ष्य यह भी है कि वह इन ऊर्जा पुंजों को आपस में जोड़े और एक वृहद ऊर्जा पुंज बनाए जो दिग्दिगंत में व्याप्त अंधकार को नष्ट कर सके। ऐसा ही एक ऊर्जा पुंज समूह रामकृष्ण विवेकानंद मिशन के नाम से बिसुन्तोला (निग्वानी), अनूपपुर, मध्य प्रदेश में युवा मित्र चला रहे हैं। यह नवोदित मित्र मंडल अभी तक प्रत्येक वर्ष विवेकानन्द जयंती के कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं के बीच स्वामीजी के संदेशों को प्रसारित कराता आ रहा है।
विवेकानन्द ऊर्जा पुंज के श्री मोहन चक्रवैश्य विगत कई दिनों से अनूपपुर में पोस्टेड थे जिनका इन मित्रों से संपर्क हुआ। इन नय मित्रों ने मोहनजी के साथ मिलकर गाँव में शिक्षा उत्थान के लिए कक्षाएं प्रारंभ किं। सभी युवा मित्र विवेकानन्द ऊर्जा पुंज से अपने को अभिन्न मानते हुए इन कक्षाओं को "विवेकानन्द ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र" का नाम दिया है। विवेकानंद ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा प्रसार करना है। वर्तमान में ऊर्जा पुंज अध्ययन केंद्र, ४ थी से १० वी कक्षा तक के निर्धन बच्चों को संस्कारों के साथ स्कूली शिक्षा दे रहा है। अनूपपुर के ये सभी उत्साह से भरे युवा भविष्य में सरे गाँव में संस्कार एवं शिक्षा प्रसार के लिए कृत संकल्पित हैं। अपने ऊपर पूरा विश्वास रखते हुए ये नये ऊर्जा पुंज भविष्य में समाज के हित में जो भी आवश्यक हो, कार्य करने के लिए प्रस्तुत है।
विवेकानंद ऊर्जा पुंज को अपने अभिन्न नये ऊर्जा पुंजों पर गर्व है एवं शुभकामनाएँ ज्ञापित करता हैं। निलेश, जागेश्वर, अशोक, कमलभान , मोहन , संतोष और बिसाहू ये सभी उत्साह एवं ऊर्जा से भरे मित्रों का ऊर्जा पुंज अभिन्नंदन करता है।
Thursday, January 6, 2011
भारत विकास संगम (गुलबर्गा, कर्नाटक)
समाज के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों मे निस्वार्थ भाव से कार्यरत समाज सेवी एवं अन्य संगठनों को एक सूत्र मैं पिरोने की दृष्टी से कर्नाटक के गुलबर्गा शहर में श्री गोविन्दाचार्य ने भारत विकास संगम का आयोजन किया, जिसमे राष्ट्र भर के विभन्न प्रान्त के प्रितिनिधि उपस्थित हुए। कार्यक्रम का आयोजन २४ दिसम्बर से ३ जनवरी के बीच किया गया। विवेकानन्द ऊर्जा पुंज के मित्रों ने भी सज्जनशक्ति के इस समागम में २६ दिसम्बर के "युवा शक्ति सम्मलेन" में सहभागिता की एवं अपने कार्यों की जानकारी तथा विभन्न प्रितिनिओं से उनकी कार्य पद्दतियों का अदन प्रदन किया।
ऊर्जा पुंज ने इस कार्यक्रम में जन सामान्य को ऊर्जा पुंज के परिचय के लिए "विवेकानन्द ऊर्जा पुंज उद्घोष" का वितरण किया। युवाओं को राष्ट्र निर्माण की धरा से जोड़ने की दृष्टी से युवाओं को तात्कालिक लक्ष्य (नौकरी/जॉब)की प्राप्ति के उद्श्य से बनाए SMS Channel के पम्प्लेट्स वितरित किये।
Group photo with delegates from different states- U.P., M.P, Maharastra, Orissa, Chattisgarh, Gujrat, Rajasthan, New Delhi, Karnataka, Uttrakhand, TN, Kerala etc.
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