माँ भारती के सपूत अन्ना हजारे से राष्ट्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त आमजन कि पीड़ा देखि नहीं गई और उस संत कि यह पीड़ा एक समग्र जनांदोलन के रूप में प्रकट हुई और राष्ट्र में बहु प्रतीक्षित नेतृत्व सामने आया।
अन्ना हजारे के इस राष्ट्र यज्ञ में ऊर्जा पुंज भी अपनी अकिंचिन आहुति देने उद्धत
हुए।
स्वामी विवेकानन्द जिस परिवर्तन के लिए सरे राष्ट्र का आवाहन करते हैं, उस परिवर्तन के लिए सामर्थ जुटाने के लिए भी सचेत करते हैं। इसी लिए महर्षि अरविन्द भी उस सुखद परिवर्तन के लिए शक्ति आराधना पर बल देते हैं।
अन्ना भी जब भ्रष्टाचार के विरुध
सत्याग्रह के लिए निकले उस समय भी वे सामर्थ्य शक्ति के संचय के लिए महात्मा गाँधी के प्रतिमा के सामने घंटो ध्यानस्थ रहे।
हम सभी ऊर्जा पुंजों ने भी शक्ति संचय के इसी उद्देश्य के लिये एवं राष्ट्र कार्य को परिणिति तक लेजाने के
लिए "शक्ति जागरण एवं संस्कार शिविर" का आयोजन २२, २३ और २४ अप्रैल २०११ में किया हैं।
शिविर का आयोजन माँ नर्मदा के तट पर स्थित स्वामी पगलानंद आश्रम (सिद्ध आश्रम दादा धुनिवाले) में स्वामीजी के दिव्य सानिग्ध में किया गया। प्रतिदिन योगाभ्यास के साथ साथ विभिन्न संतों का सनिग्धा एवं आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। विशेष रूप से जामनगर, गुजरात से पधारे श्री सुबेष सिंह यादव जी ने सनातन धर्म के सूक्ष्म सिध्हान्तों पर प्रकाश डाला एवं धर्म कि व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन में प्रासंगिकता पर बल
दिया।
शिविर में पधारे भगवत स्वरुप, श्री जय जय सरकार ने यथेष्ठ परिवर्तन के लिए,
कथनी-करनी को एक करने कहा साथ ही सभी को कर्मठ बनने पर भी बल दिया।
कर्मठ कि व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि व्यक्ति तब ही कर्मठ हो सकता है जब उसके पास ज्ञान हो।

बिना ज्ञान के व्यक्ति बहुत कुछ करता हुआ दिखता तो है परन्तु
अभिप्श प्राप्त नहीं कर पता इसी लिए पहले ज्ञान को प्राप्त करो अपने आप कर्मठता आजाएगी और तभी यथेष्ठ परिवर्तन करने सक्षम हो सकोगे।
शिविर में सुखमनी साहिब का भी पथ किया गया। प्रोफेसर R P S चंदेल जी ने शक्ति जागरण के लिये सभी को क्रिया योग का अभ्यास कराया और भारत में परिवर्तन के लिए
साधन, साध्य और साधक कि सुचिता रखने का सभी से आग्रह किया। राष्ट्रहित कि कामना से सभी ने माँ नर्मदा कि आराधना कि एवं दीपदान किया.